डच लोग भारत में मसालों के अतिरिक्त नील, सोरा, सूती वस्त्र का निर्यात करते थे। डच लोग 1613 ई. में जकार्ता को जीतकर बैट्रीया नामक स्थान को अपना केंद्र बनाया। और यही से मसाला व्यापार पर पूर्ण रूप से नियंत्रण स्थापित किया। फलतः डचों की दिलचस्पी इन्हीं मसालों व्यापार पर अधिक होने लगी। और अपना ध्यान इंडोनेशिया में अधिक केंद्रित करने लगा।
यूरोपीय कंपनियों के आपसी प्रतिस्पर्धा में ब्रिटिश सेडर्स लोग बिछड़ते चले गए। पुनः डचों को अपनी सरकार के द्वारा अधिक सहयोग नहीं मिल सका। और अंत में 1759 में डच (मीर जाफर) तथा अंग्रेज के बीच वेंदरा का युद्ध हुआ। डच पराजित हो गया। डच का अधिपत्य भारत में समाप्त हो गया। डच लोग अपनी संपत्ति ब्रिटिशों को बेच दिया। बाद में डच लोग की भूमिका भारत में समाज सेवा की हो गई। उन्होंने भारत में कई मिशनरी स्थापित किया। भारत की शिक्षा प्रगति में इनका महत्वपूर्ण योगदान रहा।